Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2018 · 1 min read

पश्चाताप का खजाना

खजाना अक्सर धन का होता है लेकिन मुझे नसीब हुआ -पश्चाताप का खजाना।छिपा खजाना भला किसको अच्छा नहीं लगता।मैं अपने घर खर्च में से कुछ पैसे बचत के तौर पर छुपाकर रख देती थी।ताकि भविष्य में जरूरत के समय काम आ सकें।

अतः मैंने बचत के कुछ पैसे एक किताब में छुपाकर रख दिये। मैं ये पैसे रखकर भूल गई।संयोग से देश में पुरानी मुद्रा का चलन बन्द करने की घोषणा हो गई।लेकिन मैं उस रखे पैसे को भूल गई थी। अचानक मुझे याद आया कि मैंने कुछ पैसे रखे हुए हैं लेकिन जब तक नोट बदलने की समय सीमा निकल चुकी थी।

छिपा खजाना पाकर मेरे मुख से निकला-हाय! ये क्या अनर्थ हो गया है।

पश्चाताप में हाथ मलते हुई मैंने कहा-काश ये छिपा खजाना समय रहते पता चल जाता तो मुझे कितनी ख़ुशी होती।

परिचय:-

अशोक कुमार ढोरिया

मुबारिकपुर(झज्जर)

हरियाणा

सम्पर्क 9050978504

प्रमाणित करता हूँ कि. यह मेरी स्व रचित रचना है।।

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 451 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

भैया  के माथे तिलक लगाने बहना आई दूर से
भैया के माथे तिलक लगाने बहना आई दूर से
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जीवन के सच तो शब्द होते हैं।
जीवन के सच तो शब्द होते हैं।
Neeraj Agarwal
शरद पूर्णिमा का चांद
शरद पूर्णिमा का चांद
Mukesh Kumar Sonkar
संवेदना
संवेदना
Ekta chitrangini
संवेदनाओं का भव्य संसार
संवेदनाओं का भव्य संसार
Ritu Asooja
जानेमन नहीं होती
जानेमन नहीं होती
Sumangal Singh Sikarwar
"The Deity in Red"
Manisha Manjari
Love love and love
Love love and love
Aditya Prakash
थोड़ा प्रयास कर समस्या का समाधान स्वयं ढ़ुंढ़ लेने से समस्या
थोड़ा प्रयास कर समस्या का समाधान स्वयं ढ़ुंढ़ लेने से समस्या
Paras Nath Jha
आशा की किरण
आशा की किरण
शशि कांत श्रीवास्तव
मैं मजदूर हूँ
मैं मजदूर हूँ
Kanchan verma
बेटियां बोझ कहाँ होती
बेटियां बोझ कहाँ होती
Sudhir srivastava
4813.*पूर्णिका*
4813.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शेर
शेर
Dr. Kishan tandon kranti
वारिस हुई
वारिस हुई
Dinesh Kumar Gangwar
कुली
कुली
Mukta Rashmi
दिल दिमाग़ के खेल में
दिल दिमाग़ के खेल में
Sonam Puneet Dubey
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
National Energy Conservation Day
National Energy Conservation Day
Tushar Jagawat
नमस्ते! रीति भारत की,
नमस्ते! रीति भारत की,
Neelam Sharma
परछाई
परछाई
Dr Mukesh 'Aseemit'
दुर्गा भाभी
दुर्गा भाभी
Dr.Pratibha Prakash
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
Chandrakant Sahu
होगा कोई ऐसा पागल
होगा कोई ऐसा पागल
gurudeenverma198
..
..
*प्रणय*
*खारे पानी से भरा, सागर मिला विशाल (कुंडलिया)*
*खारे पानी से भरा, सागर मिला विशाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पापा जैसी जिम्मेदारी
पापा जैसी जिम्मेदारी
PRATIK JANGID
मेरी ज़िंदगी की खुशियां
मेरी ज़िंदगी की खुशियां
Dr fauzia Naseem shad
व्यथित मन
व्यथित मन
सोनू हंस
हर किसी को कोई प्यार का दीवाना नहीं मिलता,
हर किसी को कोई प्यार का दीवाना नहीं मिलता,
Jyoti Roshni
Loading...