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3 Feb 2023 · 1 min read

पवन वसंती झूम रही है

मस्त बसंती झूम रही है, गीत हवा में घोल रही है
आ जाओ मन मीत, प्रेम ऋतु वीत रही है
रोम रोम रंग रही वसंती, रंग प्रेम के घोल रही है
जगा रहा मधुमास उमंगे,मन वगिया फूल रही है
पोर पोर छाया बसंत,पीहु पीहु कोयलिया बोल रही है
नाच रहा है मन मयूर,धरा प्रेम रस घोल रही है
आ जाओ मादक मौसम में,पवन सुहानी बोल रही है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
2 Likes · 130 Views
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Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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