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3 Jul 2022 · 4 min read

” परिवर्तनक बसात “

(एकटा लघु -संस्मरण)
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”

=================

कप्तान राय साहिब क रोव अखनो धरि रोम -रोम मे व्याप्त छलनि ! आर्मी क गतिविधि हुनका एकटा अद्भुत शक्ति प्रदान केने छलनि ! तकरे परिणाम स्वरूप वो कठोर आ सशक्त व्यक्तित्व क श्रेणी मे अबैत छलाह ! ओना उमरि हुनकर 73 भ गेल छलनि मुदा चुस्ती -फुर्ती मे आइयो नवतुरिया युवक केँ कोसो पाछू छोड़ि देबाक सामर्थ रखैत छलाह ! गांव क अंतिम मुहान पर वो एकटा दिव्य आलीशान घर बनेने रहैथि ! ओहि घरक भव्यता आ सजावट क चर्चा आस -पास क गांव धरि पहुँचि गेल छल ! हम जखन अपन ससुर जाइत रहि दुमंठा पर आबि हुनकर कुशल -क्षेम लोक सँ पूँछैत छलियनि ! आइ पुनः अवसर भेटल छल ! चौक पर आबि पान
खेलहूँ आ हुनके सँ पूँछलहूँ ——–

” राय जी गामे मे रहैत छथि? कुशल छथि की नहि ?”

मुदा हुनकर आ ग्रामीण लोकक प्रतिक्रिया सुनि केँ अचंभित भ उठइत छलहूँ !
लोकक उत्तर इएह होइत छल ———

” के राय जी? …. ओझा जी, सत्ते कहू , हमरा नहि पता !
वो कहियो ककरो सँ मेल -जोल रखने नहि छथि !
समाज मे रहि सामाजिकता सँ सदैव काते -काते रहैत छथि ! ”

कियो त एतबा धरि हमरा कहलनि —
” आहाँ हुनकर नाम नहि लिय!”

कियो हुनका अभद्रता क टिप्पणी सँ अलंकृत केलनि ! आर त आर कियो त हमरा देखिते – देखिते हिदायतो द देलनि _____

” एहन लोक सँ आहाँ दोस्ती रखने छी ?”

एकटा विचित्र छवि राय जी क गांव मे बनल जा रहल छल ! हुनकर तीन पुत्र छनि ! दू पुत्र हुनक त सेना मे छथि आ तेसर पुत्र अंतर्जातीय विवाह क केँ पुणे महाराष्ट्र रहि रहल छथि ! हुनका लोकनिक अपन जिंदगी छनि ! पडिबा क चान जंका गाम एला त एला …….नहि एला त बहुत बहाना बना लेत छथि !

हम त राय जी संगे देहू रोड , पुणे मे रहि !…..किछू दिन धरि जम्मू मे , मुदा वो त ऐहन नहि रहैथि ! हमरा लोकनिक आत्मीयता शिखर पर पहुँचि गेल छल ! नहि कहि , संभवतः वो हमर ससुर क जे छलाह तें त नहि ? हुनकर पत्नी सुगौना वाली क आगाध प्रेम देखि केँ हमरा लगैत छल जे हम अपन सासुरे मे छी ! राय जी प्रत्येक रक्षा बंधन मे हमर पत्नी सँ राखी बंधबैत छलाह ! आ एहिना हमरालोकनिक प्रेम परस्पर बढ़ैत चलि गेल !

हम जाखनो ससुर गेलहूँ एक बेर हुनका सँ भेंट करैत छी, मुदा गामक लोकक विचित्र प्रतिक्रिया हमरा हृदय भेदने जा रहल छल ! हम राय जी क दिश सँ तर्क देलहूँ —–

” देखू ! ताली दूनू हाथ सँ बजैत अछि ! समाज क सहो किछू कर्तव्य होइत छैक ! ”

किछू लोक जे चौक पर ठाढ़ रहैथि हमर गप्प सुनि तमशा त अवश्य गेल हेताह ,कियाक त हम राय जी क पक्षधर छलहूँ ! तें अधिकांश लोक प्रतीकात्मक प्रतिक्रिया केँ शिष्टाचार क परिसीमा मे रहैत बजलाह ——–

“आहाँ की जानय छी, ओझा जी! राय जी त समाज मे रह’ योग्य नहि छथि ! आहाँ केँ नीक लगैत छथि ताहि मे हमरा की ? ”

हमर मित्रता त बड़ पुरान अछि ! कहू त , हम दूर केना रहि सकैत छी ? गाम क चौक सँ १ किलो रसगुल्ला किनलहूँ आ हम दूनू गोटे हुनकर घर पहुँचि गेलहूँ ! हम अपन बाइक क हॉर्न बजैलहूँ …..कते बेर डोर बेल्ल क बटन केँ सहो दबेलहूँ ! बहुत देर क बाद राय जी क धर्मपत्नी निकललिह आ आश्यर्यचकित भ कहलनि ——-

” आउ ….आउ ! केना हम मन पड़लहूँ ?”

आँगन मे प्रवेश करैत- करैत राय जी घर सँ बाहर निकलि अभिवादन केलाह ! उज्जर -उज्जर दाढ़ी बड़ल ….कनि अस्वस्थ्य लागि रहल छलाह …..हम जेना हुनकर बरामदा मे प्रवेश करबाक प्रयत्न केलहूँ ..वो कहलनि ———-

“आहाँ केँ जूता उतारय पड़त ! ”

हम जूता आ मौजा उतारि देलहूँ ! फेर हम अंदर प्रवेश केलहूँ ! एहि बीच मे क्रमशः हमर मोबाइल कॉल कतो सँ आबि रहल छल ! ख़राब नेटवर्क क कारण हमरा बाहर और भीतर करय पड़ल …..वोहो खाली पैरे ! ऐहन शिष्टाचार क बंधन सँ हमर पैर दुखि रहल छल ! …..आर त आर ……. खालि पैरे सम्पूर्ण घर क प्रदिक्षणा सहो करौलनि ! व्यवस्था त इ हेबाक चाहि छल जे घरक लेल अलग चप्पल रखल जाय !

सम्पूर्ण घर क खिड़की केँ जाली सँ ठोकि -ठोकि केँ तिहार जेल बना केँ रखने छलाह !
राय जी केँ ठेहुन मे दर्द होइत छलनि ! हम पूछलियनि ————

” इ दर्द कहिया सँ भ रहल अछि ?”

“ देखियो ना …..इ दू वरख सँ हमरा सता रहल अछि ! “—जबाव देलनि !

मच्छर क प्रवेश द्वार राय जी त बंद क देने छलाह , परंतु फर्श क शीतलता आ ओहि पर खाली पैरे चलनाई हड्डी क रोग केँ आमंत्रण द रहल छलाह !

एहि क्रम मे हम हुनका सँ गामक संबंध मे गप्प पूंछलियनि ————-

“राय जी !…..आहाँ ऐतैक अलग -अलग किया रहैत छी ?
आहाँ क …… कार्य ..आ .आहाँ क ….अदम्य साहस क लेल सरकार आहाँ केँ सम्मानित सहो केने छथि ! मुदा आहाँ सामाजिक परिवेश सँ दूर किया भेल जाइत छी ? “

ऐतबा पूछैत ओ स्तब्ध भ गेलाह ! हुनक मौनता क लेल किछू हद्द तक समाजो केँ जिम्मेबार माननाई अत्यंत आवश्यक अछि ! ….

परंच अंततः राय जी आश्वाशन देलनि जे “परिवर्तनक बसात ” हुनका दिश सँ अवश्य प्रवाहित हैत ! एहि परिवर्तनक बसात क प्रतीक्षा मे हम हुनका सँ विदा लेलहूँ आ पुनः
ऐबाक लेल हुनका अश्वासन देलियनि !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
08.06 2022

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