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14 Aug 2021 · 1 min read

परिन्दे जमीन पर

आसमान से उतरकर
परिन्दे आज जमीन पर
बैठे हैं
मेरे कमरे के बाहर
बरामदे के
फर्श पर
बैठे हैं
मुझसे मिलने मेरे घर आये हैं
हम एक दूसरे की भाषा नहीं
समझते पर
मेरा दिल टटोलने आये हैं
मुझे कुछ राहत के पलों की
सौगात देने आये हैं
मेरे लिए किसी अंजानी राह की
फिजाओं की खुशबुयें चुराकर
लाये हैं
यह मेरे लिए
अंजान हैं
मैं इनके लिए
एक अजनबी लेकिन
मेरा इनसे दिल जुड़ रहा
मन चहक रहा तो
फिर कहां हैं यह अजनबी
कुछ देर मेरे पास ठहरकर
यह अपने देश लौट जायेंगे
अपना कोई पता भी नहीं
बतायेंगे लेकिन
क्या पता
कल फिर मुझसे मिलने
आसमान से मेरे घर की
जमीन पर तो नहीं उतर
आयेंगे।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 263 Views
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