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3 Aug 2022 · 1 min read

परमात्मनः प्राप्तया: स्थानं हृदयम्

परमात्मनः प्राप्तया: स्थानं हृदयम्।ज्ञानं हृदये विराजमान्।गुरुणा यः ज्ञानं प्राप्त: भवति।एषः वास्तविकतायां स्वैव अन्तः।एतस्य ज्ञानस्य माध्यमेन वयं परमात्मानं जानामः।गुरु: ज्ञानं न ददाति प्रत्युत् सर्वस्य हृदये विराजमान् ज्ञानरूपं परमात्मानः जागृति: करोति।

©®अभिषेक:पाराशर

Language: Sanskrit
371 Views
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