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3 May 2020 · 1 min read

पथ भी नहीं बुहारो मेरा

पथ भी नहीं बुहारो मेरा,
ठोकर दर ठोकर लगने दो।
होने दो पैरों को लहू लुहान,
कंटक उनमें चुभने दो।

होने दो भूख प्यास से विह्वल,
होने दो मजबूरी का अहसास।
तभी दीन-बंधु हो पाऊँगा ,
सहमते लोग आयेंगे पास।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
1 Like · 144 Views

Books from Jayanti Prasad Sharma

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