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26 Oct 2023 · 1 min read

“पथ प्रिय रघुनंदन का”

“जिस पथ पर मैं चलता हूं,
वह पथ रागी हो दर्शन का।
जिस पथ का अनुरागी हूं,
वह पथ प्रिय हो रघुनंदन का।

जिस पथ का उच्चारण करूं,
वह पथ हो स्वावलंबन का।
जिस पथ का अनुयायी हूं,
वह पथ हो प्रेम प्रदर्शन का।।

अपराध मुक्त हो जन मानस,
हे नाथ! तन का कष्ट हरो।
मिलें सुख समृद्धि सबको,
हर काज अमानवता का नष्ट करो।

जहां सद्भभावनाएं पलती हैं ,
वहां सुख समृद्धि मिलती हैं ,
वह जगह स्वर्ण सा सुंदर है,
जहां न्याय सम्पदा प्यारी लगती है।।

Language: Hindi
1 Like · 277 Views
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