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7 Apr 2024 · 1 min read

“पत्नी और माशूका”

“पत्नी और माशूका”
कविता मेरी पत्नी बन गई
ग़ज़ल मेरी माशूका,
हुई रोज सावन सी बारिश
फिर भी ये मन तरसा।

3 Likes · 3 Comments · 112 Views
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