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6 Feb 2022 · 1 min read

पत्नियाँ (गीतिका)

*पत्नियाँ (गीतिका)*
■■■■■■■■■■■
(1)
हर मुसीबत को हटाती पत्नियाँ
काम आड़े वक्त आती पत्नियाँ
(2)
छोड़ कर अपने घरों को धन्य यह
दूसरों का घर बसाती पत्नियाँ
(3)
कौन जाने लोग अब कैसे मिलें
सोचती ससुराल जाती पत्नियाँ
(4)
जब बुरे दिन चल रहे हों घर के तो
प्यार से ढाढ़़स बँधाती पत्नियाँ
(5)
स्वर्ग बनता है इन्हीं से घर सदा
इसलिए देवी कहाती पत्नियाँ
(6)
नौजवानी में – बुढ़ापे में सदा
साथ बस केवल निभाती पत्नियाँ
■■■■■■■■■■■■■■■
*रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा*
*रामपुर उत्तर प्रदेश*
मोबाइल 9997615451

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