Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2024 · 1 min read

*पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है….*

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है….
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है…!

अपने घर की कलह से फुरसत मिलें तो सुनें….
आजकल पराई दीवार पर ‘कान’ कौन रखता है.!

खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को.
आज कल परिंदो में अपनी ‘जान’ कौन रखता है…!

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर….
आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है…!

बहलाकर छोड़ आते हैं वृद्धाश्रम में मां-बाप को..
आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता है…!

सबको दिखता है दूसरों में इक बेईमान इंसान..
खुद के भीतर मगर अब ईमान कौन रखता है.!

फिजूल की बातों पे सभी करते हैं वाह – वाह…
*अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है

.जय श्री राधे कृष्णा..!*

182 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बारिश
बारिश
Punam Pande
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
हिरनी जैसी जब चले ,
हिरनी जैसी जब चले ,
sushil sarna
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
बारिश पर तीन कविताएं /©मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
ख़्वाहिशों को कहाँ मिलता, कोई मुक़म्मल ठिकाना है।
ख़्वाहिशों को कहाँ मिलता, कोई मुक़म्मल ठिकाना है।
Manisha Manjari
मेरा सुकून
मेरा सुकून
Umesh Kumar Sharma
सृजन
सृजन
Bodhisatva kastooriya
तुम मेरे जीवन की गंगा...
तुम मेरे जीवन की गंगा...
कुमार सौष्ठव
4229.💐 *पूर्णिका* 💐
4229.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कवि और केंकड़ा
कवि और केंकड़ा
guru saxena
दिल में जो है वो बताया तो करो,
दिल में जो है वो बताया तो करो,
Jyoti Roshni
लगाव
लगाव
Kanchan verma
खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है
VINOD CHAUHAN
- मोहब्बत एक बला है -
- मोहब्बत एक बला है -
bharat gehlot
होली आने वाली है
होली आने वाली है
नेताम आर सी
*हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना (गीत)*
*हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना (गीत)*
Ravi Prakash
क्रूर घिनौना पाप
क्रूर घिनौना पाप
RAMESH SHARMA
बात
बात
Ajay Mishra
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
हम अकेले अनमने से हो गये.....!!
हम अकेले अनमने से हो गये.....!!
पंकज परिंदा
"चंदा के झूले में, झूलें गणेश।
*प्रणय*
Why am I getting so perplexed ?
Why am I getting so perplexed ?
Chaahat
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"Recovery isn’t perfect. it can be thinking you’re healed fo
पूर्वार्थ
किसी ने तो चांद को रुलाया होगा, किसे अब चांदनी से मुहब्बत न
किसी ने तो चांद को रुलाया होगा, किसे अब चांदनी से मुहब्बत न
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरा हिंदी दिवस
मेरा हिंदी दिवस
Mandar Gangal
जिंदगी बस एक सोच है।
जिंदगी बस एक सोच है।
Neeraj Agarwal
जो लड़ाई ना जीती जा सके बयानों से..
जो लड़ाई ना जीती जा सके बयानों से..
Shweta Soni
पांव में मेंहदी लगी है
पांव में मेंहदी लगी है
Surinder blackpen
आतम अनुभव
आतम अनुभव
Nitesh Shah
Loading...