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6 Feb 2022 · 1 min read

न जाने कितने रंग

आसमान से
मेरे दिल की जमीन पर
न जाने
हर समय कितने रंग
उतरते ही रहते हैं
मैं रंगों से सराबोर हूं
एक रंगीली
प्यार में डूबी कोई अलबेली
इस जिंदगी की सहेली
कोई सुलझाओ मुझे कि
मैं दिन पर दिन बनती जा
रही हूं एक
अनबुझ पहेली।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
Tag: कविता
163 Views
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