न गिराओ हवाओं मुझे , औकाद में रहो
न गिराओ हवाओं मुझे , औकाद में रहो
मेरी साख पर अभी कई पत्ते हरे हैं…..!
मैं चढ़कर ही दम लूंगा बुलंदी की सीडी़…
मेरे पीछे मुझे गिराने में कई लोग खड़े हैं!!
कवि दीपक सरल
न गिराओ हवाओं मुझे , औकाद में रहो
मेरी साख पर अभी कई पत्ते हरे हैं…..!
मैं चढ़कर ही दम लूंगा बुलंदी की सीडी़…
मेरे पीछे मुझे गिराने में कई लोग खड़े हैं!!
कवि दीपक सरल