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15 Feb 2022 · 1 min read

“नेह”

तेरी आंचल की छाया में जैसा स्नेह मिलता है,
दुनियाँ में कहीं और कहाँ,वैसा नेह मिलता है।
महान है मेरी जननी, और जन्मभूमि,जहाँ में,
तेरी ममता से बड़ा कहाँ ऐसा गेह मिलता है।।

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रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
372 Views
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