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5 Feb 2024 · 1 min read

“नेवला की सोच”

“नेवला की सोच”
सर्प को पूजता ये जग सारा,
उपेक्षित रहा यारों का यारा।
मैंने किसी का क्या बिगाड़ा,
सोचता रहा नेवला बेचारा।
विषधर अपना विष न तजता,
फिर भी दूध पिलाये संसारा।

6 Likes · 3 Comments · 145 Views
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