Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

नेता

नेता
आहत भावनाओं के बोल बोलते हैं
बिगड़े हूऐ आचरण करते हैं
फिर भी संन्यासी बगुला भगत बनते हैं
पकड़े गऐ तो भी, दूधिया धुला करते हैं

मुँह में राम , बगल में छुरी रखना हैं
हमें सचेत रहकर संविधान की साख बचाना हैं
हर – पल जो अपने थे ,
भेद उनके अब खुले हैं
देखन में बहुत ही गरीब गाय बनते हैं

क्या करें मौन है हम ,
ये बोलते हैं , कौडियों में तोलना हैं
हम तो लोकतंत्र हैं ,
इनका तो असंतुलन सदैव रहना हैं
000
– राजू गजभिये

Language: Hindi
78 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Raju Gajbhiye
View all
You may also like:
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
बाहर-भीतर
बाहर-भीतर
Dhirendra Singh
जो प्राप्त न हो
जो प्राप्त न हो
Sonam Puneet Dubey
भूलने की
भूलने की
Dr fauzia Naseem shad
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
Writer_ermkumar
किसी वस्तु की कीमत किसी व्यक्ति को तब समझ में आती है जब वो उ
किसी वस्तु की कीमत किसी व्यक्ति को तब समझ में आती है जब वो उ
Rj Anand Prajapati
"अपेक्षाएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
बहकते हैं
बहकते हैं
हिमांशु Kulshrestha
लोग वहाॅं पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं...
लोग वहाॅं पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं...
Ajit Kumar "Karn"
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
Shweta Soni
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
" हय गए बचुआ फेल "-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
😢कड़वा सत्य😢
😢कड़वा सत्य😢
*प्रणय*
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
summer as festival*
summer as festival*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नहीं रखा अंदर कुछ भी दबा सा छुपा सा
नहीं रखा अंदर कुछ भी दबा सा छुपा सा
Rekha Drolia
*अध्याय 6*
*अध्याय 6*
Ravi Prakash
ख़ुद से ही छिपा लेता हूं बातें दिल के किसी कोने में,
ख़ुद से ही छिपा लेता हूं बातें दिल के किसी कोने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रिमझिम सावन की रुकी,
रिमझिम सावन की रुकी,
sushil sarna
#कमसिन उम्र
#कमसिन उम्र
Radheshyam Khatik
How can I forget
How can I forget
VINOD CHAUHAN
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
Manisha Manjari
इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
हरियाली तीज....
हरियाली तीज....
Harminder Kaur
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
Ranjeet kumar patre
3058.*पूर्णिका*
3058.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वफा माँगी थी
वफा माँगी थी
Swami Ganganiya
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
शिव प्रताप लोधी
करुण पुकार
करुण पुकार
Pushpa Tiwari
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
चाँद पर रखकर कदम ये यान भी इतराया है
Dr Archana Gupta
Loading...