नीला अम्बर नील सरोवर

दिनकर से श्वेत ओर कहाँ।
व्योम से स्याह ओर कहाँ।
लाल ग़ुलाबी रँगी है धरती,
पृथ्वी से रंगीन ओर कहाँ।।
नीला अम्बर नील सरोवर।
पीली माटी हरे तरुवर।
केसरिया केसर ओर कहाँ,
धरती से रंगीन ओर कहाँ।।
कलकल झरझर ये निर्झर।
छपछप फैले ये पतझर।
दरिया धृति से ओर कहाँ।
प्रकृति से रंगीन ओर कहाँ।।
देख कर इसे मैं चुम लूँ।
सुनकर स्वर में मैं झूम लूँ।
संगीत विहंग से ओर कहाँ।
वसुधा से रंगीन ओर कहाँ।।
प्रकृति बचाओ, वृक्ष लगाओ
(लेखक-डॉ शिव लहरी)