Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2023 · 1 min read

निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।

निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये,
लहू के कतरे तो तन से गिरे हैं, पर चोट मन की कोई देख ना पाए।
जो ख़्वाब आँखों में उतरे थे, अब संग आँसुओं के भी बह ना पाए,
धड़कनों पर जो शूल लगी है, हर पल अब वो चुभती जाए।
सुबह ने यूँ धोख़े दिए थे, की अँधेरे बन चुके मेरे हमसाये,
जब भी फूलों की महक उठे है, काँटों से मन ये छलनी हो जाए।
लक़ीरों की तन्हाई अपना चुके थे, क्यों घरौंदों की बातें कोई साथ ले आये,
जिन्हें क़दमों पर विश्वास नहीं है, वो कोरे शब्दों की ईमारत बनाये।
अतीत फिर से छूने लगी है, वहीँ तो खुशियों के दिन थे बिठाये,
इस आज में ऐसी आंच उठी है, की यादें तेरी फिर हमें रुलाये।
शब्दों के तो मेले लगे थे, पर अर्थ मौन का किसे समझाएं,
शाख से अब जो टूट चुके हैं, वो पत्ते छाया किसको दे पाए?

2 Likes · 90 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
Buddha Prakash
पहले क्या करना हमें,
पहले क्या करना हमें,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जब वक्त ने साथ छोड़ दिया...
जब वक्त ने साथ छोड़ दिया...
Ashish shukla
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बच्चों के पिता
बच्चों के पिता
Dr. Kishan Karigar
बाबूजी! आती याद
बाबूजी! आती याद
डॉ.श्री रमण 'श्रीपद्'
थोड़ा सा मुस्करा दो
थोड़ा सा मुस्करा दो
Satish Srijan
मेरा शिमला
मेरा शिमला
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
एक शख्स
एक शख्स
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
I have recognized myself by understanding the values of the constitution. – Desert Fellow Rakesh Yadav
I have recognized myself by understanding the values of the constitution. – Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
नामे बेवफ़ा।
नामे बेवफ़ा।
Taj Mohammad
स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
स्त्री का प्रेम ना किसी का गुलाम है और ना रहेगा
प्रेमदास वसु सुरेखा
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏✍️🙏
मार गई मंहगाई कैसे होगी पढ़ाई🙏✍️🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक मुक्तक....
एक मुक्तक....
डॉ.सीमा अग्रवाल
नहीं उनकी बलि लो तुम
नहीं उनकी बलि लो तुम
gurudeenverma198
देखा है जब से तुमको
देखा है जब से तुमको
Ram Krishan Rastogi
*माँ*
*माँ*
Naushaba Suriya
शादियों  का अर्थ आना  चाहिए (हिंदी गजल/गीतिका)
शादियों का अर्थ आना चाहिए (हिंदी गजल/गीतिका)
Ravi Prakash
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
Kailash singh
दिलदार आना बाकी है
दिलदार आना बाकी है
Jatashankar Prajapati
अब तक मुकम्मल नहीं हो सका आसमां,
अब तक मुकम्मल नहीं हो सका आसमां,
Anil Mishra Prahari
2319.पूर्णिका
2319.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
🌹*लंगर प्रसाद*🌹
🌹*लंगर प्रसाद*🌹
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Gazal
Gazal
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्रेम कविता
प्रेम कविता
Rashmi Sanjay
एक कतरा प्यार
एक कतरा प्यार
Srishty Bansal
अर्बन नक्सल
अर्बन नक्सल
Shekhar Chandra Mitra
ए दिल मत घबरा
ए दिल मत घबरा
Harminder Kaur
■ इस ज़माने में...
■ इस ज़माने में...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...