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11 Mar 2024 · 1 min read

निभाना नही आया

बंधन समझ रहे हो वह रिश्तें निभाना नही आया
रास्ते मे चुभे काटे तो तुम्हें हटाना भी नही आया।

मै अभी से अकेला कैसे तुमको छोड़ सकता हूंँ
फँसे जो मुसीबतों से तुम्हें निकलना नहीं आया।

तुम्हें दस्तूर दुनियाँ का अभी समझ नहीं आया
अकेले में हमें मिलने का बहाना भी नहीं आया।

भुला देता गिले शिकवे जो कभी अपने रहे थे
पर तुम्हे तो हक अपना जताना भी नहीं आया।

चलो कहता हूँ चले आओ फिर से तुम पास मेरे
पर तुम्हें बिछड़कर दिल मे रहना भी नहीं आया।

निकालोगे हमको तुम अपने दिल की बस्ती से
पर नई बस्ती में तुम्हें घर बसना भी नहीं आया।

भाई अनिल कहता है भुला दो नफरते सारी
पर तुम्हें अदावत को भुलाना भी नहीं आया।

Language: Hindi
2 Likes · 108 Views
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