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5 Jun 2023 · 1 min read

तुम्हारी निगाहें

निगाहों में तुम्हारी जानम नशा ही कुछ ऐसा है
जाता हुआ मुसाफिर भी एक पल को ठहरता है
रुक गया जो एक पल पाने को झलक तुम्हारी
साथ ताउम्र निभाने को मन उसका मचलता है

इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश

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