Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2022 · 1 min read

ना रखो किसी से उम्मीद

ना रखो किसी से उम्मीद, कि,
ना रखो किसी से उम्मीद,
ये दिल बड़ा दुखता है,
जानते हुए भी इंसान,
दूसरों से उम्मीद ही क्यों रखता है,
प्याला जहर का सामने, फिर भी,
चख कर क्यों परखता है।
दिल से लगाकर तुझे,
यही लोग गम के तराने दे जाएंगे,
रखवा कर पहले उम्मीद तुझको,
यही लोग फिर अनजाने बन जाएंगे,
तू खुदा से कर सारी उम्मीदें,
जिंदगी में खुशियों के अफसाने बन जाएंगे।
रखी जो दूसरों से उम्मीद,
तेरी ही मुस्कान की चोरी होगी,
लगाई जो खुद से, तेरे पास,
फिर सफलता की तिजोरी होगी।
कारण दुख का लोग नहीं, उम्मीदें हैं,
जो तूने दूसरों से लगाई है,
कहते हैं उम्मीद पर टिकी है जिंदगी,
लेकिन ये दुनिया तो कहां,
उम्मीदों पर खरी टिक पाई है।।

दीपाली कालरा

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 291 Views
You may also like:
नवगीत
नवगीत
Sushila Joshi
नज़रों को तेरी कुछ नये मैं ख़्वाब दूं।
नज़रों को तेरी कुछ नये मैं ख़्वाब दूं।
Taj Mohammad
फस्ट किस ऑफ माई लाइफ
फस्ट किस ऑफ माई लाइफ
Gouri tiwari
मुक्तक
मुक्तक
Rajkumar Bhatt
मुफ़लिसी मुँह
मुफ़लिसी मुँह
Dr fauzia Naseem shad
बाल कविता: तितली चली विद्यालय
बाल कविता: तितली चली विद्यालय
Rajesh Kumar Arjun
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
No one in this world can break your confidence or heart unle
No one in this world can break your confidence or...
Nav Lekhika
You have climbed too hard to go back to the heights. Never g
You have climbed too hard to go back to the...
Manisha Manjari
■ आज का मुक्तक...
■ आज का मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
माँ का आँचल
माँ का आँचल
Nishant prakhar
कैसे कहें हम
कैसे कहें हम
Surinder blackpen
खून की श्येयाही
खून की श्येयाही
Anurag pandey
चौवालीस दिन का नर्क (जुन्को फुरुता) //Forty-four days of hell....
चौवालीस दिन का नर्क (जुन्को फुरुता) //Forty-four days of hell....
साहित्य लेखन- एहसास और जज़्बात
💐अज्ञात के प्रति-134💐
💐अज्ञात के प्रति-134💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
क्यूं कर हुई हमें मुहब्बत , हमें नहीं मालूम
क्यूं कर हुई हमें मुहब्बत , हमें नहीं मालूम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चाहत
चाहत
Shyam Sundar Subramanian
अक्षत और चूहों की बस्ती
अक्षत और चूहों की बस्ती
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
"जीना-मरना"
Dr. Kishan tandon kranti
इन फूलों से सीख ले मुस्कुराना
इन फूलों से सीख ले मुस्कुराना
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
शख्स या शख्शियत
शख्स या शख्शियत
Dr.S.P. Gautam
🙏मॉं कात्यायनी🙏
🙏मॉं कात्यायनी🙏
पंकज कुमार कर्ण
'मेरे बिना'
'मेरे बिना'
नेहा आज़ाद
बार बार दिल तोड़ा तुमने , फिर भी है अपनाया हमने
बार बार दिल तोड़ा तुमने , फिर भी है अपनाया...
Dr Archana Gupta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
*पाठ समय के अनुशासन का, प्रकृति हमें सिखलाती है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*पाठ समय के अनुशासन का, प्रकृति हमें सिखलाती है (हिंदी...
Ravi Prakash
अब तक के इंसानी विकास का विश्लेषण
अब तक के इंसानी विकास का विश्लेषण
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तय करो किस ओर हो तुम
तय करो किस ओर हो तुम
Shekhar Chandra Mitra
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
माँ बहन बेटी के मांनिद
माँ बहन बेटी के मांनिद
Satish Srijan
Loading...