Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2016 · 1 min read

ना मै हिन्दू हूँ ना ही मुसलमान/मंदीप

ना मै हिन्दु हूँ ना ही मुस्लमान ,
जब मै आया था तो सिर्फ एक इंसान।

करते क्यों हो तुम आपस में अपनों पर इतना जुल्म,
ये देख कर घबरा जाता है अपना भगवान।।

करते हो तुम आपस में मजहब की बातें,
करते तुम ऐसा हो जाता बदनाम भगवान।।

एक दिन तुमारा भी आएगा मेरा भी,
फिर क्यों तुम बन जाते हो हवान ।।

खुद को अगर लो तुम सवार,
तभी तो बनोगे तुम अच्छे इंसान।।

भाई है हम आपस मे रहेगे मिलजुल कर,
रहो प्यार से यही है मंदीप् का फरमान।।

मंदीपसाई

373 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
प्रणय-बंध
प्रणय-बंध
Rashmi Sanjay
हर हक़ीक़त को
हर हक़ीक़त को
Dr fauzia Naseem shad
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
लहर-लहर दीखे बम लहरी, बम लहरी
लहर-लहर दीखे बम लहरी, बम लहरी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गज़ल (इंसानियत)
गज़ल (इंसानियत)
umesh mehra
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
2682.*पूर्णिका*
2682.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
After becoming a friend, if you do not even talk or write tw
After becoming a friend, if you do not even talk or write tw
DrLakshman Jha Parimal
नहीं रहता
नहीं रहता
shabina. Naaz
ईर्ष्या, द्वेष और तृष्णा
ईर्ष्या, द्वेष और तृष्णा
ओंकार मिश्र
मुझें ना दोष दे ,तेरी सादगी का ये जादु
मुझें ना दोष दे ,तेरी सादगी का ये जादु
Sonu sugandh
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
उन सड़कों ने प्रेम जिंदा रखा है
उन सड़कों ने प्रेम जिंदा रखा है
Arun Kumar Yadav
मतदान
मतदान
साहिल
प्रेम में सब कुछ सहज है
प्रेम में सब कुछ सहज है
Ranjana Verma
जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है।
जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है।
Manisha Manjari
सोच
सोच
Shyam Sundar Subramanian
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शायरी संग्रह
शायरी संग्रह
श्याम सिंह बिष्ट
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
surenderpal vaidya
ये जुल्म नहीं तू सहनकर
ये जुल्म नहीं तू सहनकर
gurudeenverma198
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
लक्ष्मी सिंह
ताल्लुक अगर हो तो रूह
ताल्लुक अगर हो तो रूह
Vishal babu (vishu)
बढ़ने वाला बढ़ रहा, तू यूं ही सोता रह...
बढ़ने वाला बढ़ रहा, तू यूं ही सोता रह...
AMRESH KUMAR VERMA
💐प्रेम कौतुक-335💐
💐प्रेम कौतुक-335💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बड़े दिनों के बाद मिले हो
बड़े दिनों के बाद मिले हो
Surinder blackpen
इन तन्हाइयों में तुम्हारी याद आएगी
इन तन्हाइयों में तुम्हारी याद आएगी
Ram Krishan Rastogi
काश तू मौन रहता
काश तू मौन रहता
Pratibha Kumari
कभी किसी को इतनी अहमियत ना दो।
कभी किसी को इतनी अहमियत ना दो।
Annu Gurjar
" मेरा वतन "
Dr Meenu Poonia
Loading...