ना भई ना, यह अच्छा नहीं ना

ना भई ना, यह अच्छा नहीं ना।
यह तेरा कदम, अच्छा नहीं ना।।
देख ये आँसू किसके गिरें हैं।
खाक ये अरमां किसके हुए हैं।।
किसका हुआ है, तू ऐसे दीवाना।
ना भई ना————————–।।
भूल गया क्यों उनके अहसान।
जन्म दिया है, तुमको जिन्होंने।।
तुमको झुलाया फूलों पे जिसने।
लाड़ दिया है, तुमको जिन्होंने।।
हालत उनकी,देख जरा तू।
पीड़ा उनकी, समझ जरा तू।।
उनके दिल को, ऐसे दुःखाना।
ना भई ना———————-।।
जिन फूलों को, तू कहता है जन्नत।
उनसे कभी तू , आबाद न होगा।।
तेरी हस्ती,कुछ नहीं होगी।
हुर्रों से गर, तेरा रिश्ता होगा।।
बर्बादी यह, किसकी हुई है।
खुशियां किसकी, राख हुई है।।
इन हुर्रों से, तेरा दिल लगाना।
ना भई ना——————-।।
इनके सिवा क्या, यह देश नहीं है।
इससे नहीं क्या, तुमको मोहब्बत।।
तेरी बहिनें किसकी, राह देखें हैं।
तुमको नहीं क्या, उनकी जरूरत।।
रिश्तें इनसे क्यों, तोड़ दिये हैं।
सपनें अपनों के, क्यों तोड़ दिये हैं।।
दिन राखी का, यूं तेरा भूलाना।
ना भई ना———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)