Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2023 · 1 min read

*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*

ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी
*****************************

ना जाने कब अब उन से कुर्बत होगी,
उस दिन दिल की पूरी हसरत होगी।

मन मे जागी हैँ मिलने की आशाएँ,
जब हम से मिलने की फुरसत होगी।

आये ना कोई बाधा इस जीवन में,
हिय से उसदिन गायब नफरत होगी।

मरते-रहते हर दिन हम अरमानों में,
पैदा तन – मन मे कुछ हरकत होगी।

गम की काली रातें आती रहती हैं,
ख़ुशियों में आखिर यूँ बरकत होगी।

गाते रहते हम हर दम नगमें-गजलें,
मनसीरत के हक में कुदरत होगी।
****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
205 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
Seema gupta,Alwar
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
"गड़बड़झाला"
Dr. Kishan tandon kranti
मित्र धर्म और मैं / मुसाफिर बैठा
मित्र धर्म और मैं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
सब तमाशा है ।
सब तमाशा है ।
Neelam Sharma
मुझे जागना है !
मुझे जागना है !
Pradeep Shoree
स्त्री की दुविधा
स्त्री की दुविधा
Shakuntla Shaku
"मेरे तो प्रभु श्रीराम पधारें"
राकेश चौरसिया
शिलामय हो जाना
शिलामय हो जाना
Saraswati Bajpai
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Pratibha Pandey
दिलरुबा जे रहे
दिलरुबा जे रहे
Shekhar Chandra Mitra
* मैं अभिमन्यु *
* मैं अभिमन्यु *
भूरचन्द जयपाल
एक सती सी
एक सती सी
Minal Aggarwal
चराचर के स्वामी मेरे राम हैं,
चराचर के स्वामी मेरे राम हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
ये   मुनासिब  नहीं  हमारे   लिए ,
ये मुनासिब नहीं हमारे लिए ,
Dr fauzia Naseem shad
स्त्री की कहानी
स्त्री की कहानी
अनिल "आदर्श"
- रिश्ते व रिश्तेदारों से हारा हु -
- रिश्ते व रिश्तेदारों से हारा हु -
bharat gehlot
शीर्षक -आँखों का काजल!
शीर्षक -आँखों का काजल!
Sushma Singh
यूं अपनी जुल्फों को संवारा ना करो,
यूं अपनी जुल्फों को संवारा ना करो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*तेरे इंतज़ार में*
*तेरे इंतज़ार में*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हनुमान अष्टक
हनुमान अष्टक
Rajesh Kumar Kaurav
हजारों खिलजी
हजारों खिलजी
अमित कुमार
4548.*पूर्णिका*
4548.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*सूझबूझ के धनी : हमारे बाबा जी लाला भिकारी लाल सर्राफ* (संस्मरण)
*सूझबूझ के धनी : हमारे बाबा जी लाला भिकारी लाल सर्राफ* (संस्मरण)
Ravi Prakash
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
भगवत गीता जयंती
भगवत गीता जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बादल
बादल
Dr.Pratibha Prakash
#देसी_ग़ज़ल
#देसी_ग़ज़ल
*प्रणय*
जो थक बैठते नहीं है राहों में
जो थक बैठते नहीं है राहों में
REVATI RAMAN PANDEY
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
Basant Bhagawan Roy
Loading...