नायक देवेन्द्र प्रताप सिंह

छोड़ते हैं घरबार देश के लिए,
करतें जान निसार देश के लिए।
बर्फ़ ओले चाहे बौछार हो
तपती रेत ,भंवर, मझधार हो
घंटों – घंटों खड़े रह जाते हैं
कैसी भी पीड़ा सह जाते हैं
होते घायल कई बार देश के लिए,
करतें हैं जान निसार देश के लिए।
पुलवामा में छिपे थे आतंकवादी
नायक देवेन्द्र ने छक्के छुड़ा दी
हो गया लहूलुहान बहादुर शेर
जाते -जाते कर दिया दो को ढेर
पत्नी मिटाती श्रृंगार देश के लिए,
करतें हैं जान निसार देश के लिए।
मजार से पाक उनका शहादत है
मुल्क का हिफाज़त इबादत है
शाही जिंदगी लगती हैं कमतर
देश के खातिर मर जाना बेहतर
वो जाने जाते हैं विशेष के लिए,
करतें हैं जान निसार देश के लिए।
नूर फातिमा खातून
जिला- कुशीनगर