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9 Feb 2023 · 1 min read

नामवर रोज बनते हैं,

नामवर रोज बनते हैं,
बिगड़ते रोज हैं कितने।
है आब ए दरिया सी दुनिया,
मौज उठ कर गिरे जैसे।

सतीश सृजन

1 Like · 64 Views
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