नाथूराम गोडसे

भारत के इतिहास
विभाजन के समय को ,
काला समय के रूप में
हमेशा देखा जाएगा।
जब कुछ अपने ही मिलकर
भारत माता को बाँट रहे थे।
अपने स्वार्थ के लिए कुछ अपने ही,
माँ का आँचल फाड़ रहे थे।
उनको न था मतलब
किसी भी आजादी से ,
सिर्फ वह अपने स्वार्थ के
लिए आगे आ रहे थे ।
यह बात कुछ आजादी के
परवानों को अच्छा न लग रहा था।
इसलिए वह बार- बार जाकर
गाँधी जी से मिन्नते कर रहा था ,
और ऐसा न होने देने की
मांग कर रहा था।
उन लोगों को पसंद न था कि
हम इतनी बड़ी कीमत पर आजादी लें ।
उन्हें भरोसा था अपने दम पर ,
कि हम आजादी लेकर रहेंगे।
पर उन्हें भारत माता के
आबरू को यों तार- तार
होने देना मंजूर न था।
कुछ तो ऐसे थे जो इस विभाजन,
के नाम सुनते ही मर गए थे।
पर कुछ ऐसे लोग भी थे,
जो सिर्फ सत्ता में आना चाहते थे।
चाहे कीमत कितना भी बड़ा हो ,
पर वह ऐसे या वैसे अपना,
स्वार्थ निकालना चाहते थे।
पर आजादी के परवानों के लिए,
यह सबसे बड़ी दुख की घड़ी थी,
इस दुख की घड़ी को झेल रहा
एक परवाना था,
नाथूराम गोडसे।
उनसे भारत माता का यह
तकलीफ देखा न जा रहा था ,
उनका कहना था कि
आजादी हम आज नहीं
तो कल ले लेंगें।
पर भारत माता के आँचल
से खिलवाड़ न होने देंगे,
अंग्रेजो की यह साजिश हम
कामयाब न होने देंगे।
आजादी की कीमत भारत
माता को बाँट कर न देंगें।
पर कोई भी उनकी
बात न सुन रहा था।
सब अपने -अपने स्वार्थ
साधने में लगे हुए थे ।
इस विभाजन को
न रूकता हुआ देखकर ,
नाथूराम गोडसे की
क्रोध की सीमा न रही,
और उसने क्रोध में आकर
गाँधी जी पर गोली चला दी।
जिसमें गाँधी जी मारे गये,
यह देश के लिए बहुत
बुरा समय था।
गाँधी जी को मारकर
नाथूराम गोडसे ने
बुरा किया था।
इस बात से मैं भी
इनकार नही कर रही हूँ।
पर वह एक हत्यारा था,
इस बात पर भी मैं
इकरार नही करती हूँ।
क्योंकि भारत का विभाजन
के समय कई आजादी के
परवानों ने के लिए दुखदाई था।
कितनो ने अपना मानसिक
संतुलन खोया था।
वे क्या करे रहे थे
उन्हें खुद ही पता न था।
क्योंकि वह घड़ी ही कुछ
इस तरह का था।
पर भारत विभाजन का
जो निर्णय लिया गया था।
क्या यह निर्णय सही था ?
यह बात मैं आपसे पूँछ रही हूँ।
~अनामिका