*नहीं फेंके अब भोजन (कुंडलिया)*

*नहीं फेंके अब भोजन (कुंडलिया)*
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भोजन उतना लीजिए ,जितना खाएँ आप
छोड़ा थाली में अगर ,समझें यह है पाप
समझें यह है पाप , नहीं करिए बर्बादी
चाहे घर की दाल ,भोग – छप्पन की शादी
कहते रवि कविराय ,कदम से बनता योजन
कण-कण है अनमोल ,नहीं फेंके अब भोजन
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*रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99976 15451*
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*योजन =* _अधिकांश विद्वानों के अनुसार 8 मील_
*कदम =* _पैरों से चलकर तय की गई लगभग 70 सेंटीमीटर की दूरी_