**नसीब**
नसीब हैं अपना
जादू का पिटारा
कब कैसे कहाँ खुलेगा
कौन हैं जानता..!
अनचाहा हो जाता कभी
तो… दिल बैठा जाता
फिर…नसीब को
कई बार कोशा जाता…!
अचानक से आये जो
खुशियाँ या उमंग की लहरें
तो… नसीब को ढेरों बधाई
देकर खुद पर रौफ आता…!
हैं ये तो खेल भाग्य का
ऐसा समझकर…. हसी ख़ुशी
सच्चाई को गले लगाते..!
पर…गौर करो ये हैं
सब माया कुदरत की,
जैसे हो कर्म अपना
ऐसा ही विधाता
भाग्यमें फल देता..!!
जिसे मन से स्वीकार कर,
जीवन रथ का पैया चलाओ….
तो… नसीब को कभी न
कोशना पड़ता…!!!!