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18 Mar 2024 · 1 min read

नश्वर संसार

इस नश्वर संसार में ये अनुप्रीति कैसी ?
जब कुछ शाश्वत नहीं तो ये अनुभूति कैसी?

जब सब कुछ यहीं छोड़ जाना है तो ये बंधन कैसा ?
जो बिछड़ साथ छोड़ गया है तो ये क्रंदन कैसा ?

जीवन जो मोहजाल की परतंत्रता से मुक्त हो गया है,
यथार्थ की चिरनिद्रा की स्वतंत्रता में सुप्त हो गया है,

जो एक नवआयाम दिशा ओर अग्रसर हो ,
एक अनंत प्रशांत भवसागर में विलुप्त हो गया है।

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