Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2023 · 1 min read

नशा

नशा
कहते हैं लोग
बहुत नशा है शराब में
मगर लगता ये भ्रम है
रूप, दौलत, पद-प्रतिष्ठा,
मोहब्बत, मंजिल और मोबाइल
क्या इसमें नशा कम है?
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति

4 Likes · 4 Comments · 164 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

Books from Dr. Kishan tandon kranti

You may also like:
वैराग्य का भी अपना हीं मजा है,
वैराग्य का भी अपना हीं मजा है,
Manisha Manjari
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
अरशद रसूल /Arshad Rasool
फूल कितना ही ख़ूबसूरत हो
फूल कितना ही ख़ूबसूरत हो
Ranjana Verma
माँ
माँ
श्याम सिंह बिष्ट
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
*सब से महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
Ravi Prakash
साहिल
साहिल
Dr. Rajiv
बाबूजी।
बाबूजी।
Anil Mishra Prahari
Muhabhat guljar h,
Muhabhat guljar h,
Sakshi Tripathi
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
Anil chobisa
"खुशी मत मना"
Dr. Kishan tandon kranti
"नमक"
*Author प्रणय प्रभात*
पढ़ना सीखो, बेटी
पढ़ना सीखो, बेटी
Shekhar Chandra Mitra
बादल  खुशबू फूल  हवा  में
बादल खुशबू फूल हवा में
shabina. Naaz
💐प्रेम कौतुक-524💐
💐प्रेम कौतुक-524💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
تہذیب بھلا بیٹھے
تہذیب بھلا بیٹھے
Ahtesham Ahmad
" आज भी है "
Aarti sirsat
Success_Your_Goal
Success_Your_Goal
Manoj Kushwaha PS
अखबार
अखबार
लक्ष्मी सिंह
✍️फिर वही आ गये...
✍️फिर वही आ गये...
'अशांत' शेखर
किराएदार
किराएदार
Satish Srijan
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
Shashi kala vyas
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
नन्दलाल सिंह 'कांतिपति'
"आत्म-मन्थन"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"तेरे बिन "
Rajkumar Bhatt
अहा! लखनऊ के क्या कहने!
अहा! लखनऊ के क्या कहने!
Rashmi Sanjay
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
धारा छंद 29 मात्रा , मापनी मुक्त मात्रिक छंद , 15 - 14 , यति गाल , पदांत गा
Subhash Singhai
फूलों जैसा कोमल बनकर
फूलों जैसा कोमल बनकर
Chunnu Lal Gupta
ये मौन अगर.......! ! !
ये मौन अगर.......! ! !
Prakash Chandra
Loading...