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31 Dec 2022 · 1 min read

नव वर्ष (गीत)

नव वर्ष (गीत)
_______________________________
आती साँस नई कहलाती, जाती साँस पुरानी
जीवन की यही कहानी
(1)
जिसने जन्म लिया है जग मेँ, उसको बूढा होना
चार दिवस का है यौवन, फिर सबको इसको खोना
पुष्प खिला है जो डाली पर, अगले दिन मुरझाता
सरदी का-गरमी का मौसम, बदल-बदल कर आता
किसे पता है सूरज डूबा, कहाँ कथा अनजानी
जीवन की यही कहानी
(2)
टँगे कलैंडर दीवारोँ पर, आज खो रहे हस्ती
नए कलैंडर का स्वागत है, देखो उनकी मस्ती
जो गद्दी से हटा, बैंच पर खाली है सुस्ताता
नए कुँवर के राजतिलक के, चारण गीत सुनाता
रात बीतने वाली ही है, दिन आता अभिमानी
जीवन की यही कहानी
■■■■■■■■■■■■■
रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर(उ.प्र)
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
Tag: गीत
79 Views

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