Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2024 · 1 min read

नव्य द्वीप का रहने वाला

नव्य द्वीप का रहने वाला
ले आया हूँ प्रेम की गागर,
चाह मेरी की अब समेट लू
तेरे प्यार की पूरी सागर।

भर भर के अतिरेक प्रेम
था सदा किया अर्पण हमने ,
दर्द दिलों का बढ़ता गया
जब नहीं समर्पण किया था तूने।

मै भी अनुरागित इतना की
तेरा मोह छोड़ नहि पाया
जितना विस्मृत करना चाहूँ
उतना और हमें है भाया।

फिर भी अनुप्राणित हूँ मै
सुन एक वृक्ष की बात सही
पवन गिराती नित्य पत्तियां
मित्रता है उनसे फिर भी वही

हैसियत देख रिश्तेदारों की
खातिरदारी लोग निभाते
काजू बादाम पैसे वालो को
बिस्कुट हम जैसो को खिलाते।

रीति सदा दुनिया की यही है
विवश नही है प्रेम आयु का
हर आयु की है ये जरूरत
सफर लंगोट से है ये कफ़न का।

अवसादित दिन भी गुजर रहे
कट रही स्याह राते भी वैसे
कट जायेगे बचे हुए दिन
कटते है औरों के जैसे।

धीरे धीरे उम्र कट रही
जीवन अतीत का हिस्सा है
अब यादों की पुस्तक बन
हो चुका एक अब किस्सा है।

अपने प्यार के भ्रम में ही
तुम जीने दो अब तो मुझको
समझ इसे निष्काम प्रेम
निर्मेश समर्पण कर दू तुमको।

निर्मेष

1 Like · 93 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all
You may also like:
रात अंजान है
रात अंजान है
Dr. Rajeev Jain
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
Rituraj shivem verma
2953.*पूर्णिका*
2953.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िंदगी की ज़रूरत के
ज़िंदगी की ज़रूरत के
Dr fauzia Naseem shad
आता एक बार फिर से तो
आता एक बार फिर से तो
Dr Manju Saini
आज फिर से
आज फिर से
Madhuyanka Raj
हिंदी दिवस - 14 सितंबर
हिंदी दिवस - 14 सितंबर
Raju Gajbhiye
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
" न्यारा पूनिया परिवार "
Dr Meenu Poonia
मां तुम्हें आता है ,
मां तुम्हें आता है ,
Manju sagar
जहां सीमाएं नहीं मिलती
जहां सीमाएं नहीं मिलती
Sonam Puneet Dubey
प्रेम का कोई उद्देश्य नहीं प्रेम स्वयं एक उद्देश्य है।
प्रेम का कोई उद्देश्य नहीं प्रेम स्वयं एक उद्देश्य है।
Ravikesh Jha
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
*सेना की अक्सर दिखी, कुटिल हृदय की चाह (कुंडलिया)*
*सेना की अक्सर दिखी, कुटिल हृदय की चाह (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
AMRESH KUMAR VERMA
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
माँ का आँचल जिस दिन मुझसे छूट गया
Shweta Soni
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
Mohan Pandey
प्रीत निभाना
प्रीत निभाना
Pratibha Pandey
"चिता"
Dr. Kishan tandon kranti
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
Rj Anand Prajapati
लम्हा लम्हा कम हो रहा है
लम्हा लम्हा कम हो रहा है
Rekha khichi
अनजान दीवार
अनजान दीवार
Mahender Singh
एक ही तारनहारा
एक ही तारनहारा
Satish Srijan
#आज_की_बात-
#आज_की_बात-
*प्रणय प्रभात*
ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
Pramila sultan
अर्ज किया है
अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
Neelam Sharma
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...