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30 May 2024 · 1 min read

नववर्ष का नव उल्लास

धवल हिमशिखरों पर फिर दिनकर ने प्रात जगाया है
नव रश्मि से आलोकित हो एक नया सवेरा आया है
कलिकाओं के मुंदे नयन हैं पर पुष्प आज इतराया है
तुहिन की नन्हीं बूंदों ने तरु का हर पल्लव नहलाया है
धूमिल स्वप्नों को पलकों पर फिर से आज सजाया है
नव वर्ष की मंगल बेला ने फिर नव उल्लास जगाया है

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