Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2022 · 1 min read

नवजात बहू (लघुकथा)

नवजात बहू (लघुकथा)
पिता की मृत्यु के बाद मोहन ने ही अपनी छोटी बहन छवि को पढ़ाया-लिखाया और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दहेज देकर एक शहरी परिवार में उसकी शादी कर दी। किन्तु उसकी सास आये दिन उसका ताना दे-देकर मानसिक उत्पीड़न करती रहती थी। समय के साथ ही मां के कहने पर मोहन ने भी शादी कर अपना घर बसा लिया और उसके घर प्यारी सी बेटी ने जन्म लिया। उधर छवि की ननद दीपा को भी पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। इधर छवि की सास का उत्पीड़न उसके प्रति बढ़ता ही जा रहा था एक दिन मोहन अपनी एक वर्षीय पुत्री को लेकर दीपा के घर पहुंच गया और यह कहते हुए अपनी पुत्री दीपा को थमा दी कि इसे आप खुद ही रखो और सिखाओ-पढ़ाओ अन्यथा भविष्य में कभी तुम्हारे बेटे से इसका रिश्ता हुआ तो तुम भी यही कहोगी जो तुम्हारी माँ मेरी बहन छवि से कहती है कि “मायके वालों के सिखाये में चल रही है।” दीपा की ससुराल के सभी सदस्य निरुत्तर मौन खड़े मोहन का मुंह देख रहे थे।
-दुष्यन्त ‘बाबा’
पुलिस लाईन, मुरादाबाद।

149 Views
You may also like:
#  कर्म श्रेष्ठ या धर्म  ??
# कर्म श्रेष्ठ या धर्म ??
Seema Verma
नियत समय संचालित होते...
नियत समय संचालित होते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Break-up
Break-up
Aashutosh Rajpoot
*दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ (घनाक्षरी)*
*दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ (घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
उर्मिला के नयन
उर्मिला के नयन
Shiva Awasthi
वक्त वक्त की बात है 🌷🌷
वक्त वक्त की बात है 🌷🌷
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
कवित्त
कवित्त
Varun Singh Gautam
“यह मेरा रिटाइअर्मन्ट नहीं, मध्यांतर है”
“यह मेरा रिटाइअर्मन्ट नहीं, मध्यांतर है”
DrLakshman Jha Parimal
✍️मंज़िल की चाहत ✍️
✍️मंज़िल की चाहत ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
बस का सफर
बस का सफर
Ankit Halke jha
🚩जाग्रत हिंदुस्तान चाहिए
🚩जाग्रत हिंदुस्तान चाहिए
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सरस्वती आरती
सरस्वती आरती
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अहद
अहद
Pratibha Kumari
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
निशान
निशान
Saraswati Bajpai
मृत्यु या साजिश...?
मृत्यु या साजिश...?
मनोज कर्ण
आज की औरत
आज की औरत
Shekhar Chandra Mitra
समय बड़ा बलवान है भैया,जो न इसके साथ चले
समय बड़ा बलवान है भैया,जो न इसके साथ चले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
💐प्रेम कौतुक-441💐
💐प्रेम कौतुक-441💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Chehre se sundar nhi per,
Chehre se sundar nhi per,
Vandana maurya
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
अक़्सर बूढ़े शज़र को परिंदे छोड़ जाते है
'अशांत' शेखर
■ जय लूट-तंत्र...
■ जय लूट-तंत्र...
*Author प्रणय प्रभात*
बाल कविता: मोटर कार
बाल कविता: मोटर कार
Rajesh Kumar Arjun
तुम महकोगे सदा मेरी रूह के साथ,
तुम महकोगे सदा मेरी रूह के साथ,
Shyam Pandey
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
Satish Srijan
देखा है जब से तुमको
देखा है जब से तुमको
Ram Krishan Rastogi
ख्वाब
ख्वाब
Anamika Singh
अविकसित अपनी सोच को
अविकसित अपनी सोच को
Dr fauzia Naseem shad
ना गौर कर इन तकलीफो पर
ना गौर कर इन तकलीफो पर
Taran Singh Verma
Loading...