नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
आदिवासी को वनवासी बनने मत देना” : राकेश देवडे़ बिरसावादी
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हरियाली को धूमिल होने मत देना,
हवा को जहर होने मत देना,
मैंने जोड़ा है प्रकृति से रिश्ता,
सदियो का बंधन टूटने मत देना…
आदिवासी को वनवासी बनने मत देना
🐦🐦…
कल कल करती नदियों को सूखने मत देना,
जंगल को मैदान बनने मत देना,
पर्वत को पठार बनने मत देना,
जिन संसाधनों को वर्षों से सहेजा है मेरे पुरखों ने,
उस जल जंगल जमीन को लूटने मत देना।
आदिवासी को वनवासी बनने मत देना
🐦🐦….
सड़क के लिए घर टूटने मत देना,
शहर के लिए गांव मिटने मत देना,
हमेशा चलता हूं पगडंडियों पर,
वह राह मिटने मत देना,
चंद रूपए के लिए इनाम बिकने मत देना
बरसों से पाला है जिसने मुझे,
उस प्रकृति की ममता को घुटने मत देना।
🐦🐦….
विकास के लिए विनाश होने मत देना,
झूठी शान के लिए कल मिटने मत देना,
नदी से जल सूखने मत देना,
पेड़ से साख गिरने मत देना,
मैं बैठा हूं एक आस लेकर
मेरा बिरसावादी विश्वास टूटने मत देना।
“आदिवासी को वनवासी बनने मत देना”
: राकेश देवडे़ बिरसावादी
(सामाजिक कार्यकर्ता, आदिवासी विश्लेषक)