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11 Feb 2023 · 1 min read

नज़र आसार-ए-बारिश आ रहे हैं

ग़ज़ल
नज़र आसार-ए-बारिश आ रहे हैं
तेरी यादों के बादल छा रहे हैं

उदासी के नशे में चूर हैं हम
ग़मों का जाम पीकर आ रहे हैं

यकीं की भूख इतनी बढ़ गई थी
फ़रेब अपनों के हाथों खा रहे हैं

मुझे गुमनाम करने की वो ज़िद में
बहुत मशहूर करते जा रहे हैं

वो जो हैं रौनक-ए-महफ़िल हमारी
वही महफ़िल से उठ कर जा रहे हैं

वो हैं मेरे ही दस्तर-ख़्वान पर और
मेरे ही सर की कसमें खा रहे हैं

‘अनीस’ उनका रहे दिल शाद ओ आबाद
मेरा दिल तोड़ कर जो जा रहे हैं
– अनीस शाह ‘अनीस ‘

Language: Hindi
1 Like · 87 Views
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