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2 Oct 2022 · 1 min read

नए-नए हैं गाँधी / (श्रद्धांजलि नवगीत)

नई अहिंसा,
नया सत्य है,
नए-नए हैं गाँधी ।

जिसने जितने
“गाल बजाए”
उतना है वो ज्ञानी ।
उतना बड़ा
संत कहलाए
जितना हो अभिमानी ।

बिना त्याग के,
बिना भाव के,
उड़ी धर्म की आँधी ।

हत्यारों की
पूजा होती
देश भक्त कहलाते ।
चोरों का
चलता अनुशासन
बड़े सख़्त कहलाते ।

संत फकीरों
के मंदिर में
उछल रही है चाँदी ।

‘पतली गली’
निकल लो बापू
चरखा नहीं चलेगा ?
भीडभाड़ है
बहुत यहाँ पर
कौन तुम्हें पूछेगा ?

मक्कारों ने
बटमारों ने
पहन रखी है खादी ।

नई अहिंसा,
नया सत्य है,
नए-नए हैं गाँधी ।

०००
—– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
Tag: गीत
10 Likes · 10 Comments · 296 Views
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