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29 Jul 2022 · 1 min read

नए नए जज़्बात दे रहा है।

पेश है पूरी ग़ज़ल…

मेरी खामोश जिन्दगी को साज दे रहा है।
मेरी लिखी हर ग़ज़ल को वो आवाज़ दे रहा है।।1।।

सुनकर उसे सुकूं का अहसास हो रहा है।
ऐसे मेरी उड़ानों को वो ऊंची परवाज़ दे रहा है।।2।।

हर दर्द को गायकी से आराम दे रहा है।
वरना जग तो बस जख्मों के निशान दे रहा है।।3।।

मेरा ये नाम बड़ा ही बदनाम हो गया था।
वो मेरे वजूद को जग में नई पहचान दे रहा है।।4।।

मैं दुनियां के लिए अजनबी हो गया था।
उसका नगमा मेरे होने का अहसास दे रहा है।।5।।

कैसे मैं उसका अहसान चुका पाऊंगा।
जो मेरे टूटे दिल को नए नए जज़्बात दे रहा है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

2 Likes · 8 Comments · 114 Views
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