धरती माँ
धरती धर ती कितना बोझा
नहीं कभी हमने ये सोचा
भेदभाव के बिना सभी को
पाला ज्यों घर की अम्माँ ने
किसको पालूं किसको छोडूं
कभी नहीं सोचा वसुधा ने
और एक हम, तू-तू मै-मै
ये तेरा ये मेरा करते
दूसरों की परवरिश क्या
अपने ही माँ बाप अखरते |
भौतिकता अब संबंधों को
किस पर क्या है इससे जोड़े
इज्जत की खानेवालों से
पास पड़ोसी भी मुंह मोड़ें |
वसुधा जैसा करें ह्रदय को
मिलजुल कर बांटें सम्मान
एक दूसरे का हित सोचें
विश्व शांति का रचें विधान |