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4 Apr 2020 · 1 min read

दौर-ए-गर्दिश है अपने घर रहिये

ग़ज़ल
दौर-ए-गर्दिश है अपने घर रहिये ।
दिल नहीं लग रहा मगर रहिये।।

दूर रहिये ज़रूर लोगों से।
हाल से सबके बा-ख़बर रहिये ।।

दुश्मने-ज़ां वबा है *कोरोना*।
बात डर की है पर निडर रहिये।।

सैर करिये न आप यूँ साहिब।
अब इधर रहिये या उधर रहिये।।

हाँ जरूरी हैं एहतियात भी कुछ ।
रखिए भी ध्यान अब जिधर रहिये।।

डस रही आपकी ये ख़ामोशी।
मौन रहिये नहीं मुखर रहिये।।

क्यों भटकते “अनीस” रहते हैं।
आप इस दिल में उम्र भर रहिये।।
– अनीस शाह “अनीस”
वबा=महामारी। दौर ए गर्दिश =बुरा वक़्त ।

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