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25 Apr 2020 · 1 min read

दो रंग और एक ही चेहरा

हर एक रंग और बदनाम चहरे के लोगो को ज़िंदगी में नवाजते देखा है,
हर बार मैंने सच बोलने वालो को ज़िंदगी के बाज़ार में बिकते देखा है,
यकीन नहीं होता लोगो को की पैसा सब कुछ ज़िंदगी मै नहीं होता,
अक्सर पर्दे से ढके लोगो को अपनी इज़्ज़त की लालिमा करते देखा है।

इस मुनासिब सी ज़िंदगी में हर किसी को चिंता में पड़ते नहीं देखा है,
जिसने जैसा इस ज़िंदगी में किया उसको उसी तरह चलते देखा हैं,
नाज़ाने बेरंग और बेनकाब चहरे कोन है इस ज़िंदगी में,
अक्सर रंग से रंगने वालो को सफेद कपड़े में लिपटते देखा है।

हर वक़्त और लम्हे को उसके तरीके से जीते और चलते देखा हैं,
मैंने गधे को भी एक दफा लोमड़ी बनते देखा है,
इस ज़िंदगी की सफर में मिलावटी लोगो की कोई कमी नहीं,
अक्सर इन मिलावटी लोगो को जले पे नमक छिड़कते देखा है।

इस ज़िंदगी में बेईमानी की रीति और रिवाजों को मिटते नहीं देखा है,
अंत से पहले आरंभ को होते हुए देखा हैं,
कोई किसी का ऐसे ही गुलाम नहीं बनता,
अक्सर नवाबों को लोभ की पहेलियों को रचते देखा है।

– Basanta Bhowmick

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 4 Comments · 269 Views
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