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30 Mar 2023 · 1 min read

दो मीत (कुंडलिया)

चलते जीवन में मधुर, लिए हास दो मीत (कुंडलिया)
_______________________________
चलते जीवन में मधुर ,लिए हास दो मीत
उड़ते नभ में दूर तक , गाते सुंदर गीत
गाते सुंदर गीत , देह दो एक कहाते
डाल हाथ में हाथ , गृहस्थी सुखद बसाते
कहते रवि कविराय ,हाथ रह जाते मलते
डँस लेता जब काल ,एक को चलते-चलते
_______________________________
*मीत* = मित्र,साथी ,दोस्त
————————————
*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99976 15451*

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