*दो पल के संयोग (कुंडलिया)*

*दो पल के संयोग (कुंडलिया)*
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सपने जैसी जानिए , जीवन की हर बात
वह दिन जो अब चल रहा ,या फिर गुजरी रात
या फिर गुजरी रात ,काल सब खेल खिलाता
कुछ से हुआ बिछोह ,जुड़ा नूतन कुछ नाता
कहते रवि कविराय ,कौन इस जग में अपने
दो पल के संयोग , सभी दो पल के सपने
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*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451