Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2024 · 1 min read

दो दिलों में तनातनी क्यों है – संदीप ठाकुर

दो दिलों में तनातनी क्यों है
प्यार के बीच दुश्मनी क्यों है

बंद है बातचीत तक सोचो
सूरते हाल ये बनी क्यों है

क्यों ख़ला से परे भी हैं किरनें
चांद के पार चांदनी क्यों है

मेरा हर दिन उदास सा क्यों है
तेरी हर शाम अनमनी क्यों है

मुंतज़िर मंज़िलों ने पूछ लिया
पांव की राह से ठनी क्यों है

गर इसे सांवला नहीं होना
धूप बदली से फिर छनी क्यों है

हर तरफ़ पसरा क्यों है सन्नाटा
हर तरफ़ एक सनसनी क्यों है

गिर गई सारी पत्तियां फिर भी
छांव इस पेड़ की घनी क्यों है

ढल गया चांद रात बीत गई
पर मेरी छत पे चांदनी क्यों है

संदीप ठाकुर

312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दोहा पंचक. . . . .
दोहा पंचक. . . . .
sushil sarna
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
पूर्वार्थ
*नसीहत*
*नसीहत*
Shashank Mishra
Live in Present
Live in Present
Satbir Singh Sidhu
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अमूक दोस्त ।
अमूक दोस्त ।
SATPAL CHAUHAN
जिंदगी की तन्हाइयों मे उदास हो रहा था(हास्य कविता)
जिंदगी की तन्हाइयों मे उदास हो रहा था(हास्य कविता)
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
- वह मूल्यवान धन -
- वह मूल्यवान धन -
Raju Gajbhiye
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
दिल से दिल गर नहीं मिलाया होली में।
सत्य कुमार प्रेमी
जीना चाहती हूं जिंदगी को अपने ही ढंग से
जीना चाहती हूं जिंदगी को अपने ही ढंग से
Mamta Rani
मैं कभी भी भीड़ के साथ नही खड़ा होना चाहता हूं।
मैं कभी भी भीड़ के साथ नही खड़ा होना चाहता हूं।
Rj Anand Prajapati
निर्णय आपका
निर्णय आपका
Mahender Singh
3023.*पूर्णिका*
3023.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा
कृष्णकांत गुर्जर
"प्रकाशित कृति को चर्चा में लाने का एकमात्र माध्यम है- सटीक
*प्रणय*
धुप सी शक्ल में वो बारिश की बुंदें
धुप सी शक्ल में वो बारिश की बुंदें
©️ दामिनी नारायण सिंह
स्त्री
स्त्री
Sakhi
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
Shweta Soni
रामचरित मानस रचा
रामचरित मानस रचा
RAMESH SHARMA
हकीकत
हकीकत
dr rajmati Surana
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
भाई बहन का प्य
भाई बहन का प्य
C S Santoshi
" वोट "
Dr. Kishan tandon kranti
परिचय ---- नाम- अरुण कुमार मिश्र
परिचय ---- नाम- अरुण कुमार मिश्र
श्रीहर्ष आचार्य
दे ऐसी स्वर हमें मैया
दे ऐसी स्वर हमें मैया
Basant Bhagawan Roy
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
कवि रमेशराज
माँ दे - दे वरदान ।
माँ दे - दे वरदान ।
Anil Mishra Prahari
मेरे बुरे होने में एक बात यह भी है कि।
मेरे बुरे होने में एक बात यह भी है कि।
Ashwini sharma
Loading...