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19 Apr 2021 · 1 min read

नारी से संबंधित दोहे

दुःख छिपाए हृदय में,होठों पर मुस्कान।
नारी की है जगत में,इतनी सी पहचान।।1

सब महिलाओं के लिए,परिजन होते खास।
उनके हित करतीं सदा,वे पूजा उपवास।।2

जो नारी हर क्षेत्र में, करती सदा कमाल।
पीछा उसका छोड़ती,कभी न रोटी-दाल।।3

नारी अब सहती नहीं ,कोई अत्याचार।
निर्णय सारे ले रही,निज विवेक अनुसार।।4

बेलन हँसिया हाथ में,और कहीं हथियार।
कर लेती हर काम को,जो अबला सुकुमार।।5

भइया से व्यवहार जब,देखा खुद से भिन्न।
माँ से घर की लाड़ली,रहती तब से खिन्न।।6

जो नारी थी देश में ,जन-जन की आराध्य।
काम वासना पूर्ति का,आज बनी वह साध्य।।7

राधा मोहन से नहीं,करती केवल प्यार।
दफ्तर में वह बैठकर,चला रही सरकार।।8

उस नारी में शक्ति की,कमी न होगी लेश।
जिसने बुद्धि विवेक से,बाँट दिया था देश।।9

घात लगाकर शाख पर ,जब बैठे सय्याद।
बुलबुल फिर कैसे रखे,निज जीवन आबाद।।10

डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
Tag: दोहा
1 Like · 3 Comments · 497 Views
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