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18 Sep 2020 · 1 min read

“जया-रवि किशन” दोहे संवाद

जिस थाली में पूर्व ही, हुए अनेकों छेद
छेद नया कैसे करें, हमें जया जी खेद

अमर सिंह की मौत पर, कुछ भी किया न खेद
अमित-जया ज़ाहिर करो, कैसा था ये भेद

है सुशान्त की मौत पर, क्यों अमिताभ निशब्द
कैसे तुम नायक बड़े, बोले न एक शब्द

छोड़ जया तू बचपना, ड्रग्स सभी को खाय
कोई सगा न ड्रग्स का, रवि किशन समझाय
***

Language: Hindi
Tag: दोहा
2 Likes · 2 Comments · 214 Views

Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali

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