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25 Sep 2023 · 1 min read

दोहा

दोहा
हरिया किससे मैं कहूँ, अपने मन की पीर।
उठ आती है हूँक सी, सीना देती चीर।।
आज दुःखी हो कह रहा,अपने मन की पीर।
हरिया मुझसे छीन ले, पावक नीर समीर।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’

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