Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2016 · 1 min read

दोहा मुक्तक

प्रदत शीर्षक- अलंकार, आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर
“मुक्तक”

गहना भूषण विभूषण, रस रूप अलंकार
बोली भाषा हो मृदुल, गहना हो व्यवहार
जेवर बाहर झाँकता, चतुर चाहना भेष
आभूषण अंदर धरे, घूर रहा आकार॥

महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी

Language: Hindi
311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
सुन लो, मर्दों!
सुन लो, मर्दों!
Shekhar Chandra Mitra
*अभिनंदन हे तर्जनी, तुम पॉंचों में खास (कुंडलिया)*
*अभिनंदन हे तर्जनी, तुम पॉंचों में खास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
■ बेशर्म सियासत
■ बेशर्म सियासत
*Author प्रणय प्रभात*
अब मै भी जीने लगी हूँ
अब मै भी जीने लगी हूँ
Anamika Singh
संघर्ष........एक जूनून
संघर्ष........एक जूनून
Neeraj Agarwal
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
Rajesh Kumar Arjun
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
सुकून की चाबी
सुकून की चाबी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
माँ
माँ
विशाल शुक्ल
लागेला धान आई ना घरे
लागेला धान आई ना घरे
आकाश महेशपुरी
लंगोटिया यारी
लंगोटिया यारी
Sandeep Pande
उसकी नज़र में अहमियत
उसकी नज़र में अहमियत
Dr fauzia Naseem shad
2676.*पूर्णिका*
2676.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेटियाँ
बेटियाँ
shabina. Naaz
यहाँ प्रयाग न गंगासागर,
यहाँ प्रयाग न गंगासागर,
Anil chobisa
एक मशाल जलाओ तो यारों,
एक मशाल जलाओ तो यारों,
नेताम आर सी
कभी तो तुम मिलने आया करो
कभी तो तुम मिलने आया करो
Ram Krishan Rastogi
" मिलकर एक बनें "
Pushpraj Anant
कलम कि दर्द
कलम कि दर्द
Hareram कुमार प्रीतम
Transparency is required to establish a permanent relationsh
Transparency is required to establish a permanent relationsh
DrLakshman Jha Parimal
छलनी- छलनी जिसका सीना
छलनी- छलनी जिसका सीना
लक्ष्मी सिंह
"आओ मिलकर दीप जलायें "
Chunnu Lal Gupta
जरूरी कहां कुल का दिया कुल को रोशन करें
जरूरी कहां कुल का दिया कुल को रोशन करें
कवि दीपक बवेजा
नज़रिया
नज़रिया
Dr. Kishan tandon kranti
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े  रखता है या
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
Utkarsh Dubey “Kokil”
वो ही प्रगति करता है
वो ही प्रगति करता है
gurudeenverma198
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
सत्य कुमार प्रेमी
जीना सीख लिया
जीना सीख लिया
Anju ( Ojhal )
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अधूरी चाहत
अधूरी चाहत
Faza Saaz
Loading...