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8 Jun 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . . . पत्नी

दोहा पंचक. . . . . पत्नी

भार्या के अनुरोध का, घातक है प्रतिरोध ।
शीश झुका कर मानिए , उसका हर अनुरोध ।।

पत्नी के लावण्य का, जो करता गुणगान ।
उसकी थाली में मिलें, नित्य नये मिष्ठान ।।

भूले से करना नहीं, पत्नी को नाराज ।
पत्नी खुश तो प्यार से, देगी वो आवाज ।।

बहुत कठिन है जीतना , अगर मौन हो युद्ध ।
विषम काल में है उचित , बन कर रहना बुद्ध ।।

पत्नी से पंगा लिया, समझो बेड़ा गर्क ।
उल्टा लेगी अर्थ वो , जितने दोगे तर्क ।।

सुशील सरना / 8-6-24

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