दोहा त्रयी. . . शीत
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दोहा त्रयी. . .
मौसम आया पोष का, लगे भयंकर शीत ।
मुख से निकले प्रीत के, कंपित सुर में गीत ।।
लो धरती पर हो गया , शीत धुंध का राज ।
भानु धुंधला सा हुआ, छुपा ताप का ताज।।
हरित पर्ण पर ओस ज्यों , लगती जीवन आस।
बूँद- बूँद में कल्पना, कवि की भरे उजास ।।
सुशील सरना / 10-1-24